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Sunday 14 September 2014

बनावट

23:51 Posted by Unknown No comments
बनावट
जब मै गाँव में टूटी खटिया को बीन रहा होता था तो पड़ोस के राजबली चाचा आ कर आगाह करते थे की बनावट पर ध्यान दो नहीं तो सुन्दर नहीं दिखेगा और मै बनावट’ को ध्यान में रख कर बीनाई किया करता था बीनाई के बाद खटिया कितना सुन्दर दिखता था मेरी हाथ की बुनाई अच्छी हो गई थी राजबली चाचा का यह सबक याद रह गया कि बनावट’ पे ध्यान देना चाहिए| ‘बनावट’ का सबक ऐसे ही सब ने मेरी तरह किसी न किसी प्रकार से सीखी होगी | इसीलिए लोगो का मिलानेबोलनेलिखने आदि में बनावट का जोर है | 
                       ये जो चलन है शिष्टाचार का की आपसे बात कर या मिल के बहुत अच्छा लगा हैं यह रवायत मन में खीज सा पैदा करता है जबकि घंटो बाते कर के बाद भी मन की बात पूरी नहीं होती नकली हँसीनकली बातेंहम सब कितने नकली हो गए हैं कहीं यह व्यवहार हमारे नकली सामान का उपभोग करने का नतीजा तो नहीं ?
                          मुझे कई बार एक दिनी मित्र’ मिल जाते हैं जो अपने सभी उपलब्धियों को इतने बनावटी ढंग से परोसते है कि मुझे कहने का मन करता है कि- मान्यवर आपसे अच्छी बनावट तो मेरे खटिये में थी दोस्त- दोस्त कर जब वो बात करते है तो मुझे पता ही नहीं चलता कि कब मै उनका दोस्त बन गया आज कल ऐसा लगता है कि मेरा दिमाग ठीक से सिग्नल नहीं दे रहा है मेरे दोस्त बन भी जाते हैं और मुझे पता भी नहीं चलता है मै सोचता हूँ कि चलो कोई मुझे दोस्त कह रहा है तो मेरा दोस्त बन गया होगा अब दोस्त से मन की बात क्या छुपानी मै भी लगे हाथो अपनी भी व्यथा पेश किये देता हूँ |वैसे भी आज कल दोस्त बड़ी मुस्किल से मिलते हैं मगर साहब तो अविराम अपनी जीवन अध्याय सुनाये जाते है धीरे – धीरे उनकी बात को कान दिमाग तक पहुँचाने में असमर्थ हो जाता है मन व्याकुलता से अपने पुराने दोस्तों को याद करने लगता है और हाँथ मोबाईल के बटन दबा दोस्त को फोन कर देता है | “अबे साले कहाँ मर गया जल्दी आ जाआज का मेरा एक दिनी मित्र’ ने मेरा हार्ड डिस्क फुल कर दिया है मुझे तुझे कुछ डेटा ट्रांसफर करना पड़ेगा |”  
           
                  ‘एक दिनी मित्र’ बिछड़ते वक्त जोश में हाँथ मिलते है और कहते है कि आप से मिल कर बहुत अच्छा लगा चलिए फिर मिलते हैं... अच्छा जरा आप अपना मोबाईल नंबर दे दीजिये” | अब दोस्त बनाया है तो इतना तो फर्ज अदा करना पड़ेगा ये  जानते हुए कि फोन मेरे लिए नहीं आएगा बस किसी विशेष प्रयोजन से वो दोस्ती की दुहाई देंगे और मुझे सहर्ष स्वीकार करना पड़ेगा |
कई बार सोचता हूँ क्यों न लोगो को खटिया बुनना सिखा दूँ  सुन्दर भी दिखेगा और सोने के बाद नींद भी अच्छी आयेगी |


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