वो मुस्कुराने लगा । उसे मुस्कुराता देख अचानक मेरी चेतना लौटी । में उसके पास जा कर अपराध भाव से बोला, "बाबा मुझे माफ़ कर दो मैंने गुस्से में पता नहीं क्या-क्या बोल गया । मैंने आपका दिल दुखाया है ।"
इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है तुम सही ही तो कह रहे हो | मै बूढ़े की और बढ़ा उनको सहारा देकर जमीन पर बैठाया, मै उससे बात करना चाहता था सो मै उसके पास ही बैठ गया | बुड्ढ़े ने अगले ही पल अपनी मुद्रा को गंभीर करते हुए कहा, 'आओ मै तुम्हे गाँधी का भूत दिखता हूँ' | उसने अपना चश्मा उतर कर मुझे दिया | मैंने ज्यो ही उसे पहना, एक अर्ध नंग नरकंकाल को समाधी के पूर्वी छोर पर दुबका पाया | अभी मै कुछ बोलता की उसने चश्मा वापस ले लिया | और बोला यह अभी सो रहा है | मैंने और मेरे दोस्तों ने बहुत मेहनत की इसे जगाने की पर जाग ही नहीं रहा | कोई कह रहा था कि 66 साल से कुछ पंडितो को बहाल कर दिया गया है अखंड ‘गरुड़ पुराण’ के पाठ करने में, ताकि ये जाग न जाए |
- आप लोगो ने किसी पंडित को नहीं ढूंढा - मैंने पुछा
-एक मिला था बड़ा ही ओजस्वी पंडित था | वह जब पाठ करता तो लगता था कि यह भूत अभी उठ खड़ा होगा और अपनी सारी इच्छाएं पूर्ण कर के मोक्ष को पा लेगा | लेकिन थोड़े ही दिनों बाद पता नही वो कौन-कौन से मंत्र पढ़ने लगा | भूत तो भूत उस मंत्र को सुनने वाले भी सो गए | उसे इसी भूत ने चुना था भारत का पहला प्रधानमन्त्री बनने को, बाद में खुद उस पंडित का भूत अपनी बेटी-नातियों के चक्कर में परेशान घूमता दिखाई दिया ।
अब हमारी बात सहज भाव में हो रही थी
-फिर आप लोगों ने क्या किया – मैंने पुछा
-बस वही गवई ओझा–गुनी का इलाज | चरखा–खादी, गोबर- गोईठा, बकरा-बकरी क्या क्या नहीं ले कर आये लेकिन ये तो कभी फुसफुसाया भी नहीं |
-देखिये बाबा इस गवई ओझा–गुनी करने से कुछ होने जाने वाला नहीं है | यह आप देख ही रहे है कि नए- नए इस भुत का नाम इस्तमाल कर के हीरो बन गए हैं | और भूत ने मोक्ष भी प्राप्त नही किया है | आज स्वराज के नाम पर ऐसा ही एक हीरो भूत के विचारों की धज्जियाँ उड़ा रहा है ।
-वो तो है पर अब कौन सा रास्ता है एक बार तो पंडित भी कर के देख लिया | तुम्हारे पास कोई जड़ी- बूटी है तो सुझाओ- बुढा बोला |
बाबा को हतास देख कर मेरा क्रोध भी हतास हो गया वो भी बाबा के सुर में सुर मिलाने लगा |
-सुना है कुछ लोगो ने एक नागा साधू को पूरा कपडा पहना दिया है | अब वह खुद कपडे पहन कर दुसरो को नंगा करता फिरता है | जब से मैंने सुना है कि इस बार बापू के जन्मदिन पर वो आएगा तब से मुझे इस भूत की फटी लंगोटी की चिंता होने लगी है कही जाते समय उतार के न ले जाये | देश की सफाई करते करते वो भूत की लंगोट पर भी हाथ साफ़ न कर जाए । आजकल वैसे भी अपनी भगवा लंगोट बदलने के लिए खादी ढूंढ रहा है ।ये तो हिलेगा भी नहीं कहते-कहते बाबा का आँखे गीली हो गयी |
अब मै क्या कहता भूत भी मरता है यह आज देखा | जिस जोश में बापू के भूत से मिलने आया था अभी तत्काल उसे छुपाने की विधि सोचने लगा | बाबा ने कहा भूत को छुपाने की विधि मत सोचो अगर लंगोट ले जायेगा तो ले जाने जाये | बस ये भुत छोड़ जाये हम एक नई लंगोट ले आएंगे थोड़ी देर ही तो नागा रहगा | वैसे भी यह भूत कितनो को दीखता है |
बाबा के लिए मै घर आ कर वेद पढ़ने लगा हूँ | शायद बापू के भूत को जागृत कर करने का कोई मंत्र मिल जाये आपके पास कोई मंत्र है तो बताइयेगा | आपसे अनुरोध है इस 66 वर्षीय भूत पे ध्यान दीजिये ताकि त्रेता वाले भूत को भी मोक्ष दिलवा सकें |